बिहार में पिछले कुछ दिनों से घटित राजनीतिक घटनाक्रमों को देख कर लगता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने बिहार से एलजेपी (LJP) का नामोनिशान मिटाने की कसम खा रखी है. बीते मंगलवार को ही एलजेपी के एकमात्र विधायक राजकुमार सिंह जेडीयू में शामिल हो गए. ऐसे में सवाल उठता है कि राज्य में चिराग पासवान (Chirah Paswan) और उनके पार्टी का भविष्य अब क्या होगा?
जेडीयू को तीसरे नंबर की पार्टी बनाने में किसका हाथ
जेडीयू बिहार चुनाव के नतीजों के हिसाब से तीसरे नंबर की पार्टी है. बीते बिहार चुनाव में आरजेडी पहले नंबर की और बीजेपी दूसरे नंबर की पार्टी बनी थी. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू इस चुनाव में 43 सीट ही जीत पाई. नीतीश कुमार की यह हालत एलजेपी की वजह से हुई. एलजेपी ने 20 से ज्यादा सीटों पर जेडीयू उम्मीदवारों को हराने का काम किया. जेडीयू नेता खुले मन से स्वीकार करते हैं कि चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को बड़ा डैमेज किया. चिराग साथ होते तो बिहार में आज नीतीश कुमार की स्थिति ऐसी नहीं होती.

क्या चिराग का नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर होना भी एनडीए को मंजूर नहीं है.
एकमात्र विधायक भी एलजेपी से तोड़ा नाता
बता दें कि बीते बिहार चुनाव में एलजेपी ने जो एकमात्र सीट पर जीत दर्ज की थी, वह सीट भी अब उसके हाथ से छिटक गई है. एलजेपी के एकमात्र विघायक राजकुमार सिंह ने पाला बदल कर जेडीयू का दामन थाम लिया है. एलजेपी के एकमात्र विधायक को जेडीयू ने अपने पाले में कर चिराग पासवान को बड़ा झटका दिया है. चिराग पासवान बीते बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही अपनी झोपड़ी को रौशन नहीं कर पाए, लेकिन नीतीश के तीर को मरोड़ जरूर दिया था. अब इसी कसक को नीतीश कुमार एक-एक कर के चिराग पासवान से हिसाब बराबर कर रहे हैं.
एलजेपी सांसद भी बदलेंगे पाला?
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एलजेपी के लोकसभा सांसद भी पाला बदलने वाले हैं? हाल के दिनों में नावादा के सांसद चंदन सिंह की सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद इस कयास को काफी बल मिला था. एलजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सर्राफ न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहते हैं, ‘विधायक राजकुमार सिंह को पार्टी ने पहले ही साइड लाइन कर दिया था. पार्टी के कार्यक्रमों में शिरकत नहीं करते थे. राजकुमार का जेडीयू में जाना कोई बड़ी बात नहीं है. नीतीश कुमार जी जनता को इससे क्या संदेश देना चाहते हैं. नीतीश कुमार बीजेपी की मदद से मुख्यमंत्री बने हैं उन्हें लोक जन शक्ति पार्टी से ज्यादा जनता से जो वायदा किया है, उसको पूरा करने पर ध्यान देना चाहिए. सरकार बने इतने दिन हो गए हैं, लेकिन नीतीश कुमार ने चुनाव में जनता से जो वायदा किया था उस पर अमल भी शुरू नहीं किया है.’

नीतीश कुमार की मौजूदगी में बिहार विधानसभा में एलजेपी के एकमात्र विधायक ने जेडीयू ज्वाइन कर लिया है.
सांसद रहेंगे पार्टी के साथ- एलजेपी
सर्राफ ने पार्टी के सांसदों के दल बदलने के कयास को भी सिरे से खारिज कर दिया. संजय सर्राफ ने कहा, ‘पार्टी के सारे सांसद पार्टी के साथ हैं. अभी हाल ही में चिराग पासवान के साथ सभी सांसदों ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था. सारे सांसद रामविलास पासवान के सपने को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
राजनीतिक मामलों के जानकार संजय कुमार कहते हैं, ‘मोदी कैबिनेट के संभावित विस्तार तक चिराग पासवान चुप ही रहेंगे. ये भी साफ हो चुका है कि नीतीश कुमार अब चिराग पासवान के साथ नहीं आएंगे. बीते बिहार चुनाव में चिराग पासवान का तेजस्वी यादव पर हमला नहीं करना और बिहार एलजेपी अध्यक्ष प्रिंस राज का तेजस्वी से मिलना भी जेडीयू को नागवार गुजर रहा है. शायद नीतीश कुमार बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व को समझाने में कामयाब हो गए हैं कि चिराग का तेजस्वी के प्रति झुकाव है. चिराग का नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर होना भी एनडीए को मंजूर नहीं है. आरजेडी सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के उस ट्वीट के भी मायने निकाले जा रहे हैं, जिसमें उन्होंने रामविलास पासवान के निधन के बाद कहा था कि मैंने अपना छोटा भाई खो दिया है. मेरे समझ से चिराग पासवान मौके की ताक में हैं और अगर मोदी कैबिनेट में उनको जगह नहीं मिलती है तो फिर वह नए विकल्पों की खोज में लग जाएंगे.’