वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण (FM Nirmala Sitharman) ने बताया कि कैबिनेट ने डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टिट्यूशन (DFIs) के गठन के लिए लाए गए विधेयक को मंजूरी (Bill Approved) दे दी है.
डीएफआई को दिया जाएगा 20 हजार करोड़ का शुरुआती फंड
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि इन इंस्टिट्यूशंस को नए सिरे से शुरू किया जाएगा. भविष्य के फैसले नया बोर्ड करेगा, जिसका जल्द गठन हो जाएगा. डीएफआई को शुरुआत में 20 हजार करोड़ रुपये दिए जाएंगे. इस बैंक की ओर से बॉन्ड जारी कर इसमें निवेश किया जाएगा. सरकार को उम्मीद है कि डीएफआई अगले कुछ वर्ष में 3 लाख करोड़ जुटाएंगे. इसमें निवेश करने वालों को टैक्स छूट का लाभ भी मिलेगा. इसमें सॉवरेन फंड के साथ ही पेंशन फंड भी निवेश कर सकते हैं.
‘कोई भी पुराना बैंक प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को नहीं था तैयार’
वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि कोई भी पुराना बैंक बड़े इंफ्रा प्रोजेक्ट्स की फंडिंग को तैयार नहीं था. इस समय देश में करीब 6,000 प्रोजेक्ट्स को फंडिंग की दरकार है. बैंकों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलने के कारण डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टिट्यूशन के गठन का फैस्ला लिया गया, जिसे आज कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. उन्होंने बताया कि इंस्टिट्यूशन के बोर्ड मेंबर्स में इंफ्रा सेक्टर के दिग्गजों को जगह दी जाएगी. बैंको के निजीकरण पर वित्त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में कुछ बहुत अच्छा कर रहे हैं. कुछ अच्छा कर रहे हैं. हमने बैंको का विलय किया, जिससे देश की उम्मीदें पूरी हो सकें.
‘सभी सरकारी बैंकों का नहीं किया जाएगा निजीकरण’
निर्मला सीतारमण ने कहा कि हमने सरकारी संस्थानों को लेकर नीतिगत फैसला किया है. सार्वजानिक क्षेत्र की भूमिका वित्तीय सेक्टर में भी मौजूद रहेगी यानी सभी बैंकों का निजीकरण नही होगा. हम सुनिश्चित करेंगे कि कर्मचारियों के हित सुरक्षित रहें. बैंक ही नहीं किसी भी क्षेत्र में हम ये सुनिश्चित करेंगे कि कर्मचारियों के हितों की रक्षा की जाएगी. हमने पूरी तरह से विचार विमर्श करके ये फैसला लिया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को लेकर कहा कि विपक्ष के नेता 2 लाइन बोलने के बजाय गंभीर चर्चा में भाग लें. आज वो प्रॉफिट लॉस को लेकर ज्ञान दे रहे हैं. करप्शन का राष्ट्रीयकरण और कर दाताओं के पैसे का निजीकरण एक परिवार के लिए किया गया.