नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में आगामी वित्त-वर्ष 2021-22 के लिए बजट पेश किया. वित्त मंत्री से आम टैक्स पेयर को राहत मिलने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी है. उन्होंने इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है. यानी अब लोगोें को मौजूदा वित्त वर्ष के टैक्स स्लैब पर ही अगले वित्त वर्ष के लिए टैक्स चुकाना होगा. वित्त मंत्री ने सीतारमण ने अपने बजट भाषण में सिर्फ 75 साल से ऊपर के सीनियर सिटीजन्स को आयकर से छूट देने का ऐलान किया. न्यूज 18 के एक्सपर्ट पैनल में शामिल सीए विकास अग्रवाल, सीए राजेश जैन और सीए हरिगोपाल पाटीदार से समझिए इनकम टैक्स के प्रावधान…
पहले की तरह रहेंगे दो विकल्प
सीए हरिगोपाल पाटीदार का कहना है कि आगामी वित्त वर्ष के लिए पूर्व की तरह इनकम टैक्स के दोनों विकल्प रहेंगे. पहला पुराना टैक्स स्लैब और दूसरा मौज्ूदा साल से शुरू किया गया न्यू टैक्स रिजीम. इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने वाले दोनों से कोई भी एक विकल्प चुनकर रिटर्न जमा कर सकेंगे.
सीए हरिगोपाल पाटीदार
यह है वित्त वर्ष 2021-22 के लिए व्यक्तिगत इनकम टैक्स स्लैब
वार्षिक आय (इनकम) नई टैक्स व्यवस्था पुरानी टैक्स व्यवस्था
2.5 लाख तक छूट छूट
2.5 लाख – 5 लाख 5%* 5%*
5 लाख – 7.5 लाख 10% 20%
7.5 लाख -10 लाख 15% 20%
10 लाख – 12.5 लाख 20% 30%
12.5 लाख -15 लाख 25% 30%
15 लाख से ज्यादा 30% 30%
नोट : *इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 87ए के अनुसार रुपए 5 लाख तक के करयोग्य आय (टैक्सेबल इनकम) वाले व्यक्तियों को 12500 रुपए या इनकम टैक्स की 100% राशि, जो भी कम हो, छूट का लाभ प्राप्त हो सकेगा।
सिर्फ पेंशन पाने वाले 75 साल से ऊपर के बुजुर्गों को नहीं भरना होगा रिटर्न
सीए विकास अग्रवाल बताते हैं कि आगामी बजट में 75 साल से ऊपर के बुजुर्गों काे रिटर्न भरने से छूट दी गई है. लेकिन यह छूट सिर्फ पेंशन से इनकम पाने वालों के लिए होगी. साथ ही पेंशन वाले बैंक में ही डिपॉजिट हो तो उस मामले में भी रिटर्न दाखिल नहीं करना होगा. लेकिन बैंक एक डिक्लरेशन लेकर आपके इन्वेस्टमेंट आदि की जानकारी लेगा. और यदि पेंशन व ब्याज टैक्सेबल दायरे मै तो खुद आपके अकाउंट से टैक्स काट लेगा. बाकी, 60 वर्ष से उपर और 80 वर्ष की उम्र के कर दाताओं को वरिष्ठ नागरिक (सीनियर सिटिज़न) माना जाता है. न्यू टैक्स रिजीम का विकल्प भी सुपर सीनियर सिटिजन्स चुन सकते हैं। लेकिन इसमें उन पर आम करदाता की ही टैक्स की गणना होगी. मतलब 70 तरह की छूट और कटौतियों का लाभ नहीं मिलेगा. जबकि पुरानी व्यवस्था वाला यह टैक्स स्लैब होगा.
वार्षिक आय पुरानी टैक्स व्यवस्था
3 लाख तक छूट
3 लाख – 5 लाख 5%
5 लाख – 10 लाख 20%
10 लाख से ज्यादा 30%
सीए विकास अग्रवाल
सुपर सीनियर सिटिजन्स के लिए इनकम टैक्स स्लैब
आयकर अधिनियम 1961 के अनुसार 80 वर्ष से उपर की उम्र के कर दाताओं को सुपर सीनियर सिटिजन्स माना जाता है। वे न्यू टैक्स रिजीम का विकल्प भी सुपर सीनियर सिटिजन्स चुन सकते हैं। लेकिन इसमें उन पर आम करदाता की ही टैक्स की गणना होगी. मतलब 70 तरह की छूट और कटौतियों का लाभ नहीं मिलेगा. जबकि पुरानी व्यवस्था वाला यह टैक्स स्लैब होगा.
वार्षिक आय पुरानी टैक्स व्यवस्था
5 लाख तक छूट
5 लाख -10 लाख 20%
10 लाख से ज्यादा 30%
इन्डिविजुवल और सीनियर सिटिजन्स के लिए इनकम टैक्स पर सरचार्ज (अधिभार)
सीए राजेश जैन बताते हैं कि इनकम टैक्स जमा करने वाले की कुल आय (Income) यदि एक तय आय सीमा से ज्यादा होती है तो उस पर सरचार्ज (अधिभार) लगाया जाता है। नए साल के लिए यह सरचार्ज इस तरह का होगा.
आय सरचार्ज दर
50 लाख से कम शून्य
50 लाख – 1 करोड 10%
1 करोड – 2 करोड 15%
2 करोड – 5 करोड 25%
5 करोड – 10 करोड 30%
10 करोड से ज्यादा 37%
नोट: इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 111ए, 112ए और 115एडी के तहत करयोग्य आय (टैक्सेबल इनकम) से इनकम टैक्स पर 25% और 37% सरचार्ज (अधिभार) नहीं लगाया जाता. ऐसे मामले में इनकम टैक्स पर सरचार्ज (अधिभार) 15% है। हालांकि, इनकम टैक्स पर सरचार्ज (अधिभार) के कुछ मामलों में मार्जिनल रिलीफ उपलब्ध कराई गई है.
पुरानी टैक्स व्यवस्था में इन कटौतियों को लाभ मिलता रहेगा
सीए राजेश जैन का कहना है कि पिछले बजट में 70 डिडक्शन्स हटा दिए गए थे. लेकिन पुरानी व्यवस्था वाले टैक्स स्लैब को चुनते हैं तो यह डिडक्शन मिलते रहेंगे.
1. धारा80 सी के तहत एक वित्त वर्ष में डेढ़ लाख रुपए तक का डिडक्शन मिलता है. इसमें जीवन बीमा, पीपीएफ, ईपीएफ, ईएलएसएस, यूलिप, एनपीएस, हाेम लोन का प्रिंसिपल रिपेमेंट अमाउंट, सुकन्या समृद्धि, सीनियर सिटीजन्स सेविंग स्कीम और एनएनएस शामिल है.
2. सेक्शन 80 डी के तहत 25 हजार से 1 लाख रुपए तक की प्रीमियम वाले हेल्थ इंश्योरेंस और हेल्थ चेकअप पर
3. चैप्टर VI-ए के अंतर्गत कोई भी डिडक्शन (कटौती)
4. स्टैन्डर्ड डिडक्शन
5. लीव टैक्स अलाउंस (एलटीए)
6. हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) / घर किराया भत्ता
7. सेक्शन 24 के अंतर्गत होम लोन पर इंटरेस्ट राशि
8. प्रोफेशनल टैक्स, *सेक्शन 80सीसीडी (2) और 80जेजेएए को छोड़कर
सीए राजेश जैन
ट्रस्ट या समिति के जरिए चलने वाले स्कूल-कॉलेज, हॉस्पिटल आदि को राहत
सीए हरिगापोल ने बताया कि बजट में 50 लाख रुपए तक की आय वालों के टैक्स विवाद से निपटने के लिए समिति बनाई जाएगी. फेसलेस इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल अथॉरिटी का गठन होगा. टैक्स टेरर कम करने के लिए 50 लाख रुपए तक आय वालों का केस खोलने की समय-सीमा 6 साल से कम कर 3 साल की. 50 लाख रुपए से ज्यादा आय वालों की समय सीमा 6 साल से बढ़ाकर 10 साल की है. ट्रस्ट, एनजीओ या परमार्थ कामों के लिए बनी समितियों को एक करोड़ रुपए से ज्यादा आय होने पर इनकम टैक्स से छूट पाने के लिए सर्टिफिकेट लेना पड़ता है. अब इसकी सीमा 5 कराेड़ रुपए कर दी गई. अब कैपिटल गेन और ब्याज से हुई आय प्री-फाइल होंगी. डिविडेंड से मिलने वाली आय पर एडवांस टैक्स जमा नहीं करना होगा. अफोर्डेबल हाउसिंग के तहत 45 लाख रुपए तक का घर खरीदने पर 1.5 लाख रुपए तक के ब्याज पर अतिरिक्त छूट 31 मार्च 2022 तक जारी रहेगी